8TH SEMESTER ! भाग- 98( Police Station)
"क्या हुआ था कल कैंटीन मे..."
राजश्री ने एक बार अपने दोनो घायल दोस्तो को देखा और फिर टी.आइ. की तरफ देखकर बोला
"सर हम कुछ दोस्त कैंटीन मे बैठकर चाय पी रहे थे उसके बाद हमने समोसा का ऑर्डर दिया तो लखन ने कहा कि वो डोसा खाएगा...लेकिन रिसेस का टाइम ख़त्म होने वाला था इसलिए मैने कहा कि डोसा मत खा...उसमे टाइम लग जाएगा...लेकिन लखन नही माना और डोसा खाकर ही दम लिया और उसके बाद अरुण-अरमान वहाँ आए और उन्होने भी डोसा का ऑर्डर किया...और फिर हम सब क्लास मे आ गये..."
"ये हुआ था कैंटीन मे...??? "टी.आइ. ने आवाज़ ऊँची करके पुछा...जिससे राजश्री की सिट्टी-पिटी गुम हो गयी और उसने डरते हुए हां मे जवाब दिया...
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राजश्री पाण्डेय का स्टेट्मेंट टाइप करते हुए टाइपिंग वाला भी मुस्कुराने लगा और स्टेट्मेंट बनाकर टी.आइ. को दे दिया....जिसके बाद टी.आइ. ने दूसरे को बुलाया...
"सर,मैं लखन...मैं भी कल वही था सर .और जैसा कि राजश्री ने बताया सब वहाँ बैठकर समोसा खा रहे थे...लेकिन मुझे समोसा नही पसंद था इसलिए मैने डोसा का ऑर्डर दिया और जल्दी-जल्दी से खाकर क्लास की तरफ भागा ,क्लास लग चुकी थी...लेकिन मैं फिर भी अंदर गया और लैब अटेंड करने के बाद 5 बजे घर चला गया था..."
टाइपिंग वाला लखन का भी स्टेट्मेंट सुनकर हँसने लगा..
"फिर इन दोनो को किसने मारा..."टी.आइ. ने पीछे की तरफ बैठे फर्स्ट ईयर के उन दोनो लड़को की तरफ इशारा करके पुछा...जिन्होने हम पर रैगिंग का केस ठोका था....
"इन दोनो को कहीं देखा है..."अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए राजश्री को अचानक कुछ याद आया और वो बोला"इन दोनो का कल आक्सिडेंट हो गया था कॉलेज के बाहर...सर इन दोनो ने चोरी की बाइक भी खरीदी है और फुल स्पीड से चलाते है...इनका कोई भरोसा नही कि ये कब ,किसको टक्कर मार दे... यदि आपको यकीन ना हो इनके एक्सीडेंट का तो नाके के पास बीड़ी -सिगरेट, गुटखा बेचने वाले एक गोमती वाले से पुछ सकते है..."
इतना सुनते ही टी.आइ. खुद पर काबू नही कर पाया और तीसरे लड़के का स्टेट्मेंट लिए बिना ही उन तीनो को भगा दिया और नाके पर बीड़ी - सिगरेट बेचने वाले उस गोमती वाले को बुलाया... मैं और अरुण इस वक़्त अचंभित थे कि ये हो क्या रहा है और वही अन फर्स्ट ईयर वाले लड़को कि फटी पड़ी थी कि उनका दाँव उल्टा कैसे पड़ गया... जब जो तीन लड़के अभी स्टेटमेंट देने आए थे.. उन्हें उन्ही लोगो ने चुना था और वो तीनो ही उनके दोस्त थे.. फिर वो प्लान से कैसे मुकर गये...
"सलाम सर...."टी. आई. को देख सलाम ठोकते हुए गोमती वाले ने कहा...
"ये दोनों को जानता है...??" हम पर रैगिंग का केस करने वाले दोनों लड़को कि तरफ उंगली दिखाकर टी.आई. ने पूछा...
"ये दोनों... हम्म्म्म... अरे बिज्जू..तू.. कैसा है... और हाथ मे क्या हुआ..?? कहा था गाडी धीरे चलाया कर.. कल गिर गया था. अरे हाँ, साहब जानता हूँ ना इसको मैं... "
"झूठ बोल रहा है सर ये... इसे हम नहीं जानते..." वो दोनों लड़के एक साथ चिल्लाये...
"का बात करते हो बिज्जू... 150 रूपया की उधारी के लिए पहचानने से इंकार कर रहे हो... यकीन ना हो तो वो देसी पव्वा बेचने वाले जंगू को बुलवा लो साहब.. उसने ही इन दोनों को गिरने के बाद उठाया था "
"साला.. कभी बीड़ी -सिगरेट वाला, कभी दारू वाला... ये पुलिस स्टेशन है की bar..."टी.आई. एक दुम से भड़क उठा और अन दोनों फर्स्ट ईयर के लड़को को चमकाते हुए हम सबको वहा से भगा दिया...
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"ये चमत्कार तूने किया है क्या बे.."मुझे एक मुक्का मारते हुए अरुण ने पुछा...
"ये चमत्कार किसी और का है..."मैने डबल पावर के साथ अरुण को ख़ुशी -ख़ुशी मुक्का मारते हुए कहा...
"किसका..."उसने इस बार ट्रिपल पावर के साथ मुक्का मारा...
"वो तो कॉलेज जाकर ही पता चलेगा.."बोलते हुए मैने उसे अबकी बार एक लात मारी और खुशी के मारे पैदल ही कॉलेज की तरफ दौड़ गया ...जबकि पुलिस स्टेशन से कॉलेज 5 किलोमीटर दूर था.
5 km पैदल चलने के कारण हम दोनो पसीने से तर-बतर हो गये थे और जब पसीने से नहाए हुए कॉलेज पहुँचे तो लंच का बिगुल बज चुका था... लेकिन लंच करने के बजाय मै और अरुण सीधे कॉलेज मे घुसे... वो भी एकदम रोल से... कॉरिडोर मे चलते हुए जब लौंडे -लौंडिया हमें घूरते तो अबकी हमें एकदम प्राउड फील हो रहा था... ऊपरसे मैने गॉगल और लगा लिया था...
"क्या हुआ बे..."क्लास के अंदर हमारे घुसते ही सौरभ ने पुछा....
"टी.आइ. की फाड़ कर आ रहा हू, साले ने मुझे सॉरी तक बोला..."ताव से बोलते हुए अरुण ,सौरभ के साइड मे बैठ गया....
"मालूम नही यार...कुछ चमत्कार टाइप का हुआ पुलिस स्टेशन मे..."सौरभ के दूसरे साइड मे बैठकर मैं बोला"उसके दोस्तो ने ऐन वक़्त पर अपना बयान बदल दिया और हम दोनो को टी.आइ. ने जाने के लिए कह दिया..."
"और उन लड़को का क्या हुआ,जिन्होने तुझपर केस किया था...".
"दोनो को टी.आइ. ने कहा कि ये कैसे गवाह लाए थे उन्होने...जो स्टेट्मेंट देने के वक़्त पलट गये...और फिर उन दोनो को भी टी.आइ. ने पुलिस स्टेशन से चलता किया...."
"इस बार तो बच गये बेटा अगली बार ज़रा ध्यान से..."
"मुझे नही इस बकलोल को बोल..."अरुण को एक मुक्का मारते हुए मैं बोला"इसी को ज़्यादा जोश है रैगिंग लेने का...."
"अबे वो दोनो के क्या मैने हाथ-पैर तोड़े थे,जो मुझे बोल रहा है....सालो ने फुल प्लानिंग से हमे फसाया था और वैसे ठीक ही हुआ ना... अब अपना रोला और बढ़ गया कॉलेज मे कि पुलिस वाले तक अपना कुछ नहीं उखाड़ पाए... देख नहीं रहा था..वापस आते समय कैसे आश्चर्यचकित होकर सब हमें देख रहे थे... मानो मेरे अंदर स्वयं नारायण को देख लिया हो उन्होंने "
"बात तो सही है, लेकिन एक बात समझ नहीं आई कि उसके दोस्त ही उसके खिलाफ क्यूँ हो गये..."
"मुझसे पुछ तो ऐसे रहा है,जैसे मैं कही का अंतर्यामी हूँ "
आज FM की लैब क्लास थी बोले तो विभा मैम की और जब हम FM की लैब मे पहुँचे तो विभा वहाँ पहले से मौजूद थी और साथ मे एक असिस्टेंट भी था.....
"फाइल कंप्लीट है..."जब सब लैब मे बैठ गये तो विभा मैम ने सबसे पूछा
"नही..."सबसे पहले अरुण ने अपना हाथ खड़ा किया....
"गुड, तुम लैब से बाहर जा सकते हो...और किसकी-किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."
"मैम , मेरी भी इनकंप्लीट है..."अब मैने भी हाथ उपर उठाया.....
"तुम भी बाहर जाओ...और किस-किस ने काम पूरा नही किया है..."
विभा मैम का बोलना था कि एक के बाद एक 6-7 लड़को ने अपने हाथ खड़े कर दिए.... वो जितने बार भी पूछती की किसने फ़ाइल कम्पलीट नहीं की है, उतने बार कोई ना कोई लड़का हाथ खड़ा कट ही देता था... इसलिए विभा मैम गुस्से से सुलग उठी...
"तुम सब अपना नाम एक पेपर मे लिखो और प्रिन्सिपल सर से इसपर साइन करा कर लाओ...."
"ये क्या मैम ...ये सब तो स्कूल मे होता है..." एक लड़के ने कहा
"मैं कुछ नही जानती, जैसा बोला है...वैसा करो..."उसके बाद विभा ने अपना गोरा बदन लड़कियो की तरफ घुमाकर उनसे पुछा"गर्ल्स, तुम मे से किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."
और जब लड़कियो मे से किसी ने अपना हाथ खड़ा नही किया तो विभा बोली"गुड...ये होती है स्पिरिट... इसलिए गर्ल्स आर दि बेस्ट "
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"मैम , आज वैसे ही एक केस हो चुका है....यदि प्रिन्सिपल ने मुझे दोबारा अपने केबिन मे देख लिया तो मेरी ऐसी-तैसी कर देंगे ..."थोड़ा गिड़गिड़ाते हुए मैने विभा से कहा... पर इसका मतलब ये नहीं की मै विभा से डर गया, मैं डरा तो था पर विभा से नहीं बल्कि प्रिंसिपल से.
"सो व्हाट...तुम्हे ये सब पहले सोचना चाहिए था..."
जिनकी फाइल कंप्लीट थी...वो सब एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहाँ से आगे बढ़ गये और इस वक़्त हम 6-7 लड़के ही वहाँ पर खड़े होकर विभा से मिन्नते कर रहे थे कि वो हमारा नाम प्रिन्सिपल तक ना भेजे और यदि भेजे भी तो मेरा और अरुण का नाम उसमे से मिटवा दे.....
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"तुमने फाइल कंप्लीट क्यूँ नही की ,पहले रीज़न बताओ.. फिर सोचूंगी ."हाथ बाँधकार सेक्सी विभा सीधे अपनी चेयर पर बैठ गई और हम 6-7 लड़के चेयर को घेरा बना के खड़े रिक्वेस्ट कर रहे थे.
"मैम ,मेरी फाइल कंप्लीट थी और मैने अरुण को दी थी और इसने मेरी फाइल कल रात सौरभ को दी और सौरभ ने अपने रूम पार्ट्नर को....और आज सुबह जब मैने फ़ाइल मंगा...तो मेरी फाइल नही मिली "
"क्या..क्या.... किसको दिया फ़ाइल..? मैं समझी नहीं......"
"समझना क्या है मैम, बस माफ़ कर दीजिये..."
"Sorry अरमान, मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती... "
"तेरी माँ की.... ,साली... कुतिया...छिनार.. समझ ही नहीं रही की प्रिंसिपल ऐसी तैसी कर देगा मेरी ."उसकी आँखो मे देखते हुए मैने आँखो से ही कह दिया और वहाँ खड़े सभी लड़को की तरफ देखकर उची आवाज़ मे कहा"चलो रास्ते मे मैं तुम सबको आज A walk to the jungle की कहानी सुनाऊंगा... जिसमे मै अपने एक सीनियर के साथ जंगल मे घूम रहा था. वीडियो भी है... चलो जल्दी -जल्दी बहुत मजा आएगा .."
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साली बहुत हवा मे उड़ रही थी...मैं उसे बोल-बोल कर थक चुका था कि यदि प्रिन्सिपल आज मुझे फिर से अपनी केबिन मे देखेगा तो मेरा भजिया तल देगा...लेकिन साली विभा थी कि टीचर बनने की अकड़ मे उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था,इसीलिए मैने ए वॉक टू दा जंगल की अपनी और विभा की कहानी दोस्तो को सुनाने की सोच ली......
"अरमान...." आवाज़ देकर विभा ने हमे वापस बुलाया और लैब की नेक्स्ट क्लास तक फाइल कंप्लीट करने को बोलकर हमे एक्सपेरिमेंट करने के लिए भेज दिया...
उस दिन FM की लैब मे एक्सपेरिमेंट करने के दौरान विभा मुझसे कुछ बात करना चाहती थी...लेकिन मेरे अगल -बगल बहुत से लड़को के होने के कारण वो चुप ही रही....शायद वो मुझे समझाना चाहती थी की A walk to the jungle वाली घटना का मै कभी किसी के सामने जिक्र तक ना करू या फिर वो मुझसे i love you कहना चाहती हो... ये भी तो हो सकता है. पर वो कुछ कह नहीं पायी... शायद शरमा रही थी...
"अब आ गयी ना औकात पर..."लास्ट मे एक्सपेरिमेंट की रीडिंग चेक करते वक़्त मैने धीमे से कहा"लोगो को कभी नही भूलना चाहिए कि मैं अरमान हूँ और जो ये बात भूल जाते है मैं उन पर आटम बॉम्ब गिरा देता हूँ...."
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FM की लब ख़त्म होने के बाद अब मेरा सबसे पहला काम ये था कि पुलिस स्टेशन मे झूठा बयान देने वाले उन तीन लड़को को पकड़ कर असलियत मालूम करू... मैने जब अरुण को साथ चलने के लिए कहा तो वो बोला कि उसे अब इस सबसे कोई मतलब नही है और वो सौरभ के साथ सीधे हॉस्टल की तरफ निकल गया और मैं ,जहाँ फर्स्ट ईयर की क्लास लगती थी वहाँ गया.....
"इधर आओ मित्रो..."वो तीनो जब क्लास से निकले तो मैने उन्हे आवाज़ दी...मुझे अपनी क्लास के बाहर देखकर तीनो जहाँ खड़े थे,वही जम गये....
"डरो मत,इधर आओ..."
लेकिन नतीजा पहले वाला ही रहा...वो तीनो अब भी वही जमे हुए थे...
"अबे इधर आओ,वरना ठोक दूँगा..."
"व...वो..वो सब हमने सिदार के कहने पर किया..."उन तीनो मे से एक बोला"जब हमे कैंटीन मे मालूम चला कि आप ही अरमान हो तो हमारी फट गयी थी..."
"ठीक है तुम तीनो जाओ...मैं सिदार से सारी कड़ी जान लूँगा..."
"गुड ईव्निंग सर.."
"गुड ईव्निंग...."
उन तीनो के जाने के बाद सिदार से बात करने का सोचकर मैने अपना मोबाइल जेब से निकाला ही था कि ,विभा का नंबर स्क्रीन पर दिखा....
"चल भाग साली..."उसकी कॉल को रिजेक्ट करते हुए मैने कहा और उसका नंबर रंडी के नाम से सेव करने का सोचा... लेकिन शार्ट फॉर्म मे.... R. Vibha... रंडी विभा... Nice...😍😍. खैर, मैने सिदार को कॉल किया
सिदार से बात करने पर पता चला कि वो जिस फ्लैट मे रहता है वहाँ तीन फर्स्ट ईयर के भी लड़के रहते है....और वो तीन लड़के हम पर केस ठोकने वाले फर्स्ट ईयर के उन दो लौन्डो के दोस्त थे....कल रात जब सिदार उनके साथ था तभी उन दो लड़को मे से एक ने उन्हे फोन किया और पुलिस स्टेशन मे अपने पक्ष मे गवाही देने के लिए कहा...लेकिन जब ये बात सिदार को मालूम चली तो उसने सारा खेल ही बदल दिया ,सिदार ने उन तीनो लड़को से मेरे और अरुण के फेवर मे स्टेट्मेंट देने के लिए कहा और वैसा ही हुआ....जिसका नतीजा ये हुआ कि मैं और अरुण रैगिंग के इस झमेले मे फसे बिना ही इस झमेले से निकल गये....
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"थैंक्स MTL भाई.. आप नहीं होते तो,पता नहीं आज क्या होता... मै कहा होता...."मैने कहा...
"कोई बात नही और अगली बार से कुछ करने से पहले अपने 1400 ग्राम के दिमाग़ का थोड़ा सा यूज़ कर लेना....क्यूंकी मैं हर बार तुझे नही बचा पाउन्गा... अब तुझे ये बात समझना पड़ेगा "
"सब समझ गया एमटीएल भाई..."
उसके बाद मैने कॉल डिसकनेक्ट की और हॉस्टल की तरफ बढ़ा....अरुण ने पूरे हॉस्टल मे ये किस्सा फैला दिया था कि टी.आइ. उसकी सोर्स से डर गया और उसे जाने दिया... अरुण की बात झूठी थी, पर लड़को ने इसे सच मान लिया. उसके बाद हमने रूम मे जाकर खूब गप्पे लड़ाई ,खाना खाया, दारू पिया और फिर अपने-अपने रूम पर आ गये...रात के 11 बजे जब मैं सोने की तैयारी कर रहा था तो एक बार फिर विभा का कॉल आया, मैं जानता था कि वो किस बारे मे बात करना चाहती है...इसलिए पहले की तरह मैने इस बार भी उसकी कॉल रिजेक्ट कर दी....
"I love you बोलना है तो फेस टू फेस बोले... ताकि उसके होंठो को kiss कर सकूँ... ऐसे थोड़ी ही होता है.."
Niraj Pandey
07-Dec-2021 11:26 AM
काफी इंतज़ार करा दिया आपने इस भाग के लिए तनिक जल्दी लिखते रहा कीजिये आपकी रचनाओं के इंतजार में कई पाठक पलकें बिछाए रहते है लेखनी पर
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Anam
06-Dec-2021 03:21 PM
👍
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